हिमाचल के किसानों के लिए खेतीबाड़ी बना घाटे का सौदा, सर्वेक्षण रिपोर्ट में हुआ खुलासा
हिमाचल में खेतीबाड़ी करना किसानों के लिए घाटे का सौदा बन गया है कृषि की बदहाली का खुलासा राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन की रिपोर्ट में हुआ है।
शिमला, प्रकाश भारद्वाज। हिमाचल प्रदेश में किसानों के लिए खेतीबाड़ी करना घाटे का सौदा बन चुका है। पूरा साल खेतों में पसीना बहाकर अन्न पैदा करने वाले किसान के हाथ में 50 हजार रुपये से भी कम आते हैं। ऐसे में किसान अपने परिवार का पेट कैसे पाल सकता है। कृषि की बदहाली का खुलासा राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन की रिपोर्ट में हुआ है। इसके अनुसार हिमाचल के किसानों के लिए खेतीबाड़ी करके गुजर-बसर करना संभव नहीं है। इसका बड़ा कारण परंपरागत खेती करते हुए बाजार में फसलों का उपयुक्त दाम नहीं मिलता है।
कृषि भूमि पर जंगली जानवरों के कारण नुकसान उठाना पड़ता है। भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि खेतों को सिंचाई की सुविधा प्राप्त नहीं होती। परिणाम स्वरूप प्रदेश का किसान बदहाल होता जा रहा है। राज्य की अर्थव्यवस्था में कृषि गतिविधियों का योगदान 14 फीसद से अधिक है। राज्य की कुल जनसंख्या के 51.85 प्रतिशत लोग कृषि गतिविधियां संचालित करते हैं।
उत्तर भारत में सबसे नीचे
प्रदेश के किसान की सालाना आय 49.03 हजार रुपये है। पंजाब का किसान डेढ़ लाख रुपये से अधिक की आमदनी करता है। जबकि हरियाणा का किसान करीब सवा लाख रुपये आमदनी जुट पाता है। उत्तराखंड के किसानों की आय भी करीब 60 हजार रुपये वार्षिक है। आतंकवाद से जूझ रहे जम्मू कश्मीर में किसान 97 हजार रुपये की आमदनी अर्जित करते हैं
किसानों को फसलों के उचित मूल्य नहीं मिलते। हमारे यहां कृषि भूमि का क्षेत्र भी धीरे-धीरे कम हो रहा है, लेकिन खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि हो रही है। दूसरे राज्यों में लोग कृषि गतिविधियां अधिक करते हैं, जबकि हिमाचल में कृषि के साथ-साथ लोग दूसरे कार्य भी करते हैं। इसके चलते सर्वेक्षण में उन गतिविधियों का जिक्र नहीं होता। यही कारण है कि कृषि से होने वाली आमदनी का आकलन कम दिखाया गया है।
-डॉ. आरके कौंडल, निदेशक राज्य कृषि विभाग।
उत्तर भारत में किसानों की आय
राज्य वार्षिक आय
पंजाब 1.66 लाख रुपये
हरियाणा 1.21 लाख रुपये
जम्मू कश्मीर 97 हजार रुपये
उत्तराखंड 59.70 हजार रुपये
हिमाचल प्रदेश 49.03 हजार रुपये
हिमाचल से पीछे राज्य
राज्य वार्षिक आय
हिमाचल प्रदेश 49.03 हजार रुपये
झारखंड 42.44 हजार रुपये
मेघालय 41.33 हजार रुपये
मिजोरम 39.05 हजार रुपये
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